ईश वन्दना

विधा...रुचिरा (वर्णिक छंद)

1212, 11 11 212 12

करो कृपा हम पर नित्य हे प्रभो,
रखो सदा हम पर हाथ हे प्रभो।
कभी सुनो हृदय पुकार हे प्रभो,
रहें सुखी इस जग में सभी प्रभो।।

नहीं यहाँ पर बिन आपके चला,
करें कृपा प्रभु, मरना तभी टला।
करूँ सदा नमन दया प्रभो करो,
रहीम आकर दुख भी सभी हरो।।

प्रभो कृपा बिन कुछ भी बचा नहीं,
कभी कृपा मुझ पर करो तो सही।
मिटे यहाँ दुख जग के सभी प्रभु,
रहूँ सदा तन मन से शुद्ध प्रभु।।

रचयिता
प्रतिभा चौहान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खंड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।

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