अपील कोरोना से
कोरोना तुम अपने घर जाओ,
मुझे विद्यालय जाना है।
बच्चे मेरी राह तकते हैं,
उनको पाठ पढ़ाना है।
"मिडडे" मील खिलाकर उनको,
उनकी भूख मिटाना है।
'बुद्ध' को दूध 'सोम' को फल,
मुझको उन्हें पिलाना है।
घर में बंद हो दम घुटता है,
उनको बाहर जाना है।
हँसी थम गई है बच्चों की,
उनको खिलखिलाना है।
बाग, बगीचों, खलिहानों में,
उनको दौड़ लगाना है।
'अतिथि देवो भव' है लेकिन,
तुम्हारा आतिथ्य नहीं निभाना है।
कोरोना तुम वापस घर जाओ,
मुझे विद्यालय जाना है।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
मुझे विद्यालय जाना है।
बच्चे मेरी राह तकते हैं,
उनको पाठ पढ़ाना है।
"मिडडे" मील खिलाकर उनको,
उनकी भूख मिटाना है।
'बुद्ध' को दूध 'सोम' को फल,
मुझको उन्हें पिलाना है।
घर में बंद हो दम घुटता है,
उनको बाहर जाना है।
हँसी थम गई है बच्चों की,
उनको खिलखिलाना है।
बाग, बगीचों, खलिहानों में,
उनको दौड़ लगाना है।
'अतिथि देवो भव' है लेकिन,
तुम्हारा आतिथ्य नहीं निभाना है।
कोरोना तुम वापस घर जाओ,
मुझे विद्यालय जाना है।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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