नवरात्रि और कोरोना

मुबारक हो सबको ये नौ दिन नौ रातें।
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
गले भी न मिलना, नहीं पाँव छूना।
है आई नवरात्रि लगे सूना सूना।
करेंगे नमस्ते सभी आते-जाते।
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
महामारी फैली सभी बचके रहना।
है कुछ दिन की बातें जरा कष्ट सहना।
रहो बस घरों में भलाई के नाते।
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ
अकारण न जाओ कभी तुम बजरिया।
प्रशासन की बातों की रख लो खबरिया।
बना पर्चा सामान इकबार लाते।
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
सारे विश्व में ये तबाही मची है।
कोरोना ने ये कैसी साजिश रची है।
रहेंगे घरों में भजन गाते-गाते। 
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
मुबारक हो सबको ये नौ दिन नौ रातें।
रही जिन्दगी फिर आयेंगी नवरातें।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।
जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे माँ।

रचयिता
शोभा बिष्ट,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गौलीमहर,
विकास खण्ड-लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।

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