गणतन्त्र दिवस

आर्यावर्ते  जम्बू द्वीपे,
भारतखण्ड एक राज्य था।
युगों-युगों तक राजाओं ने
इस भूमि पर राज  किया।।

धीरे-धीरे विकृत हुई,
मानसिकता राजाओं की।
खण्ड-खण्ड हो आर्यावर्त तब,
शासित  हो   राजाओं  की।।

इसी बीच शुरू हो गये आक्रमण,
विदेशी आक्रमणकारियों के।
तुर्क, मंगोल, फिरंगी  सब,
लूट  मचायी  भारत  में।।

ईस्ट  इंडिया कम्पनी बनाकर,
व्यापार फैलाया फिरंगियों ने।
पूरे देश में कब्जा करके,
देश गुलाम किया अंग्रेजों ने।।

गुलामी से छटपटा देश तब,
कुर्बानी दे डाली शहीदों ने।
१५ अगस्त को मिली आजादी,
मनायी खुशी देशवासियों ने।।

आजाद हुआ जब देश यहाँ,
लोकतंत्र का निर्माण  हुआ।
नाना धाराओं में बँधकर,
संचालित तब कानून हुआ।।

बनकर संविधान देश में,
२६ जनवरी को लागू हुआ।
हर नागरिक देश का इसको,
मानने को तैयार हुआ।।

दलित एक बालक गरीब था,
बहुत  ललक  थी पढ़ने की।
नौ भाषाओं का यह ज्ञाता,
३२ डिग्रियाँ  भी  प्राप्त कीं।।

इसीलिए इस महापुरुष को,
संविधान  निर्माण का कार्य।
सौंपा  गया  दायित्व  इन्हें,
जन गण मन का महाकार्य।।

आजादी के बाद संविधान यह,
२६ जनवरी १९५० को लागू हुआ
हर वर्ष तभी से पावन पर्व यह,
गणतंत्र  दिवस  में  पर्याय हुआ।।

आओ मिल आज संकल्प करें,
संविधान को  तोड़ेंगे  नहीं।
जाति धर्म से ऊपर  उठकर,
करेंगे  कोई  भेदभाव  नहीं।।
                         
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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