४०२~ अर्चना गुप्ता (सहायक अध्यापिका) उ०प्रा०वि०- हाफिजपुर हरकरन, शि.क्षे.- खजुहा, फतेहपुर

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- फतेहपुर से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन अर्चना गुप्ता जी से करा रहे हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2542579409352974&id=1598220847122173

"लक्ष्य न ओझल होने पाए,
कदम मिलाकर चल।
सफलता तेरे चरण चूमेंगी,
आज नहीं तो कल।।

👉1- शिक्षक का परिचय-
अर्चना गुप्ता (सहायक अध्यापिका)
उ०प्रा०वि०- हाफिजपुर हरकरन, शि.क्षे.- खजुहा, फतेहपुर

वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति वर्ष- 19-09-2013
विभाग में नियुक्ति वर्ष- 30-12-2005

👉2- विद्यालय की समस्याएं-
सितम्बर- 2013 को जब मैंने विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया। उस समय यह एक एकल विद्यालय था। अतः विद्यालय में चुनौतियों का होना स्वाभाविक था। मेरे समक्ष भी मुख्य चुनौतियाँ थीं-
👉 विद्यालय का भौतिक परिवेश- मुख्यतः कार्यालय, कक्षाएं, अभिलेखों की।
👉नामांकन- मात्र 40 बच्चे
👉विद्यालय दिनचर्या, कक्षावार व विषयवार शिक्षण कार्य की।



👉3- समस्याओं के समाधान के प्रयास-
महिला शिक्षिका बच्चों के लिए स्वतः ही एक आकर्षण का केंद्र होती हैं। इस विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका होने के कारण जहाँ एक ओर बच्चे मेरे प्रति अत्यधिक उत्साहित थे, वहीं दूसरी ओर मुझे बच्चों का सहयोग एवं स्नेह भी प्राप्त हुआ। बच्चों के स्नेह एवं इन्चार्ज प्रधानाध्यापक से अपेक्षित सहयोग प्राप्त कर मेरे द्वारा विद्यालय की समस्याओं के निवारण हेतु निम्न लिखित प्रयास किए गए।
👉 प्रत्येक कार्य दिवस में अलग-अलग प्रार्थना।
👉भोजन मंत्र के साथ भोजन करने की परम्परा।
👉 विद्यालय अभिलेखों को अद्यतन एवं आकर्षक बनाया गया।
👉 बच्चों की अधिकतम उपस्थिति के सुनिश्चयन हेतु उनके आने-जाने के समय में (ग्रामीण परिवेश की स्थिति को ध्यान में रखते हुए) लचीलापन लाया गया।
👉 अवसरानुकूल विभिन्न गतिविधियों जैसे निबंध लेखन, चित्रकला, मेहंदी, राखी, दिया बनाना, 1 मिनट्स इंटरेस्टिंग गेम आदि को सम्मिलित किया गया।
👉विद्यालय में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ।






👉अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों व बच्चों को विद्यालय व शिक्षा के प्रति जागरूक व प्रेरित करने के लिए समय-समय पर पुरस्कृत करना।
👉सकारात्मक प्रवृत्ति के साथ बालिका स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के अनछुए पहलुओं पर ध्यान देकर उनके स्वास्थ्य में व्यापक परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया।
👉विद्यालय प्रगति हेतु निरंतर रूप से वरिष्ठ अध्यापकों का मार्गदर्शन तथा समवयस्क अध्यापकों का सहयोग लिया गया साथ ही कनिष्ठ अध्यापकों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित भी किया गया।

👉5- विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियां-
👉 समय सारिणी से शिक्षण कार्य सुनिश्चित किया गया।
👉 टी. एल. एम. एवं एस .एल. एम. का प्रयोग एवं गतिविधि आधारित शिक्षा पर बल।
👉 सामान्य एवं प्रतिभाशाली बच्चों के साथ-साथ शांत, निःश्छल एवं अंतर्मुखी बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया।
👉देववाणी संस्कृत जो कि इस विद्यालय में एक उपेक्षित विषय बनी हुई थी, पर भी ध्यान दिया गया।
👉 कला, क्राफ्ट आदि गतिविधियों के द्वारा शिक्षण को रोचक व प्रभावी बनाया गया।
👉मीना मंच व बाल पुस्तकालय का सक्रिय संचालन।

👉5- विद्यालय और बच्चों की उपलब्धियां-
👉उक्त प्रयासों के परिणाम स्वरुप बच्चों के नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि हुई (वर्ष 2013-14 में नामांकन 40 बच्चों का था जो वर्ष 2016-17 में 111 तक पहुंच गया।)
👉विद्यालय में रुचिपूर्ण एवं बाल केंद्रित वातावरण का सृजन हुआ तथा विद्यालय में बच्चों की सक्रिय सहभागिता भी बढ़ी।
👉 विकासखंड स्तर पर विद्यालय के कई छात्र सुलेख लेखन, चित्रकला एवं विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत हुए।
👉हमारे विद्यालय को विकासखंड- खजुहा में उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में सम्मिलित किया गया।















👉6- शिक्षक और विद्यालय परिवार की उपलब्धियाँ-
👉 हमारे विद्यालय के श्री राम नरेश सहायक अध्यापक को वर्ष- 2019 में जिलाधिकारी महोदय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।
👉 मुझे मिशन शिक्षण संवाद परिवार में एक महत्त्वपूर्ण स्थान मिला साथ ही महिला सशक्तिकरण विशेषांक में सम्मिलित किया गया।

👉7- मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश-
👉 मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षकों को न केवल सीखने, सिखाने की प्रेरणा मिल रही है बल्कि उन्हें अपनी बात कहने का एक मंच भी मिल रहा है साथ ही शिक्षकों के कौशल निर्माण में यह मिशन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

👉8- शिक्षक समाज के लिए सुझाव/ संदेश-
👉 बच्चे विद्यालयी शिक्षा के केंद्र होते हैं और बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की होती है अतः शिक्षक को बच्चों को सक्रिय सीखने वाले के रूप में पहचान कर उनमें ज्ञान, संस्कार एवं राष्ट्र हित की चिंता समाहित करने का प्रयास करना चाहिए।

🔴इस प्रकार बच्चों की गुणवत्तापरक शिक्षा की वांछनीयता को पूर्ण करने की दिशा में मेरा यह एक लघु प्रयास रहा जो नरंतर जारी रहेगा।

"मंजिल से जरा कह दो,
अभी पहुँची नहीं हूँ मैं।
मुश्किलें जरूर हैं,*
मगर ठहरी नहीं हूँ मैं।।"

संकलन: बबलू सोनी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail. com पर भेज सकते हैं।
सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
13-01-2020

Comments

Total Pageviews