तिरंगा
तीन रंग से बना तिरंगा,
नभ में जब फहराये।
गर्व करे तब अंग-अंग अपना,
सिर ऊँचा हो जाए।
रंग केसरी बलिदानों का,
देश प्रेम की अलख जगाये।
श्वेत रंग ये अमन चैन का,
शान्ति का संदेश सुनाये।
खुशहाली का रंग हरा ये,
हर घर में समृद्धि लाये।
मध्य बना ये अशोक चक्र,
धर्म चक्र कहलाये।
सच्चाई की राह पे चलना,
ये हमको सिखलाये।
अखंडता की पहचान तिरंगा,
जग में शान बढ़ाये।
तीन रंग से बना तिरंगा,
नभ में जब फहराये।
गर्व करे तब अंग अंग अपना,
सिर ऊँचा हो जाए।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
नभ में जब फहराये।
गर्व करे तब अंग-अंग अपना,
सिर ऊँचा हो जाए।
रंग केसरी बलिदानों का,
देश प्रेम की अलख जगाये।
श्वेत रंग ये अमन चैन का,
शान्ति का संदेश सुनाये।
खुशहाली का रंग हरा ये,
हर घर में समृद्धि लाये।
मध्य बना ये अशोक चक्र,
धर्म चक्र कहलाये।
सच्चाई की राह पे चलना,
ये हमको सिखलाये।
अखंडता की पहचान तिरंगा,
जग में शान बढ़ाये।
तीन रंग से बना तिरंगा,
नभ में जब फहराये।
गर्व करे तब अंग अंग अपना,
सिर ऊँचा हो जाए।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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