वीर पुरुष थे नेताजी
वीर चक्रवती, आत्मविश्वासी,
वीर पुरुष थे वो नेता जी।
इनके इरादे इतने प्रबल,
तन, मन भारत माँ को अर्पण।
दे देंगे हर बूँद खून की,
बोले स्वतंत्रता की खातिर।
रण में चल दो भारतवासी,
देश को हम आज़ाद करेंगे,
व्यर्थ न होगी क़ुरबानी।
जय हिंद का नारा देकर,
दुश्मन से फिर रक्षा की।
बलिदान बनेगा इतिहासी,
हासिल जब होगी आज़ादी।
नेता जी के जन्म दिवस पर,
सुन लो उनकी अमर कहानी।
आज़ादी की लड़ी लड़ाई ,
"आज़ाद हिंद" फ़ौज बनायी।
भारत माँ के सच्चे सपूत वो,
परमवीर, निर्भीक, निडर, बलिदानी।
रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।
वीर पुरुष थे वो नेता जी।
इनके इरादे इतने प्रबल,
तन, मन भारत माँ को अर्पण।
दे देंगे हर बूँद खून की,
बोले स्वतंत्रता की खातिर।
रण में चल दो भारतवासी,
देश को हम आज़ाद करेंगे,
व्यर्थ न होगी क़ुरबानी।
जय हिंद का नारा देकर,
दुश्मन से फिर रक्षा की।
बलिदान बनेगा इतिहासी,
हासिल जब होगी आज़ादी।
नेता जी के जन्म दिवस पर,
सुन लो उनकी अमर कहानी।
आज़ादी की लड़ी लड़ाई ,
"आज़ाद हिंद" फ़ौज बनायी।
भारत माँ के सच्चे सपूत वो,
परमवीर, निर्भीक, निडर, बलिदानी।
रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।
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