प्रकृति

शीत के संघर्ष का, सुखद परिणाम भेजती है,
प्रकृति हमारे लिये, बसंत का ईनाम भेजती है।

सबको प्रिय लगता है, बसंत से पूर्व का सूरज,
ऋतु बदलने वाली है, प्रकृति पैगाम भेजती है।

कितना मनोहर होता है, बसंत का आगाज भी?
प्रकृति फूलों के द्वारा धरा को सलाम भेजती है।

वनस्पतियों पर खिले, रंग-बिरंगे फूलों के रूप में,
प्रकृति हमारी धरा को, सुन्दर परिधान भेजती है।

हमें तो हर वक्त, बसंत की ही ख्वाहिश रहती है,
पर प्रकृति, ऋतु परिवर्तन का वरदान भेजती है।

जब-जब धरा पर होता है, पर्यावरण का संतुलन,
प्रकृति सही समय पर वर्षा, सर्दी, घाम भेजती है।

प्रकृति का ध्यान रखने पर, सुखों की वर्षा होती है,
यह नाराज होकर भूकंप, आंधी, तूफ़ान भेजती है।

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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