बसन्तोत्सव
आज है बसन्त पंचमी का पर्व,
चहुँ दिशाओं में खग करते कलरव।
प्रकृति की छटा कुछ निखरी सी,
धरती की फिजा भी बदली सी।
भाँति-भाँति के फूल खिले हैं,
जो मन को प्रफुल्लित कर रहे हैं।
माँ सरस्वती का करते हम वन्दन,
आओ रोली चन्दन से करें अभिनन्दन।
पीले रंग धारण कर ध्यान लगायें,
शुद्ध मन, भाव से श्वेत पुष्प चढ़ायें।
विद्या और ज्ञान का माँगे वरदान,
पूर्ण निष्ठा से सभी को बाँटें हम ज्ञान।
विद्या ज्ञान संगीत माँ सरस्वती
इनकी कृपा से प्राप्त होती हमें ज्ञान की शक्ति।
प्रेम व श्रद्धापूर्वक करें हम पूजन,
प्रसन्न व खुशहाल रहे मेरे देश के जन
रचयिता
इला सिंह,
सहायक अध्यापिका,
कम्पोजिट विद्यालय पनेरुआ,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फ़तेहपुर।
चहुँ दिशाओं में खग करते कलरव।
प्रकृति की छटा कुछ निखरी सी,
धरती की फिजा भी बदली सी।
भाँति-भाँति के फूल खिले हैं,
जो मन को प्रफुल्लित कर रहे हैं।
माँ सरस्वती का करते हम वन्दन,
आओ रोली चन्दन से करें अभिनन्दन।
पीले रंग धारण कर ध्यान लगायें,
शुद्ध मन, भाव से श्वेत पुष्प चढ़ायें।
विद्या और ज्ञान का माँगे वरदान,
पूर्ण निष्ठा से सभी को बाँटें हम ज्ञान।
विद्या ज्ञान संगीत माँ सरस्वती
इनकी कृपा से प्राप्त होती हमें ज्ञान की शक्ति।
प्रेम व श्रद्धापूर्वक करें हम पूजन,
प्रसन्न व खुशहाल रहे मेरे देश के जन
रचयिता
इला सिंह,
सहायक अध्यापिका,
कम्पोजिट विद्यालय पनेरुआ,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फ़तेहपुर।
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