परम श्रद्धेय माँ शारदे

मधुर बसंत बहार फैली..
हो रहा पग - पग चमन,
बुद्धि विद्या प्रकाशित करें..
अज्ञानता का हो दमन,,
ज्ञानदायिनी वीणावादिनी..
कला की अधिष्ठात्री देवी,
परम श्रद्धेय माँ शारदे..
आपको शत-शत नमन।

कृष्ण की बाँसुरी का..
आप ही दिव्य तान हो,
मीरा के भजनों का..
सरल भाव मधुर गान हो,,
हवा की सरसराहट हो..
या हो जल की कल-कल,
प्रकृति के हर स्वर का..
आप ही तो वरदान हो।

सुर स्वर की देवी माँ..
वाणी में मधुरता दे दो,
शब्दों के खज़ाने से..
कुछ अंश मुझे दे दो,
तेरे चरणों की धूलि बनकर..
निर्मल गंगाजल सा हो जाऊँ,
अज्ञान ग्रसित है लेखनी मेरी..
भक्ति का आशीर्वाद दे दो।।

रचयिता
राजीव कुमार गुर्जर,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर राजपूत,
विकास खण्ड-कुन्दरकी
जनपद-मुरादाबाद।

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