बचेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी

दरों औऱ दीवारों पर, हर ओर लिखा एक नारा है,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, प्रतिवर्ष लक्ष्य हमारा है।
पर जित देखो उत ही यहाँ, कन्या को मारा जाता है,
सभ्य समाज में कहने को, बेटा ही वंश चलाता है।
क्या नारी के बिना कथित वंश, आगे बढ़ जाता है...???
क्या वास्तव में बेटा ही, पीढ़ी को आगे बढ़ाता है।
कब तक वंश के नाम पर, बेटी को यूँ ही मारोगे,
बेटे की चाहत में कब तक, माँ की गोद उजाड़ोगे।
देवी रूप में कन्या को, हर घर-घर पूजा जाता है,
फिर क्यों जन्म पर कन्या के, हर मन उदास हो जाता है।
पट्टी खोलकर आँखों से, सच्चाई को क्यों न देख रहे,
एक बराबर बेटी- बेटा, बात को क्यों न समझ रहे।
आज हर क्षेत्र में बेटी भी, बेटों से आगे निकल रहीं,
पढ़-लिख कर बिटिया भी देखो, नाम रौशन कर रहीं।
घर के काम कराओ बेशक, पर पढ़ने तो भेजो,
बेटों जैसे पाल-पोसकर, अवसर देकर देखो।
ख़ुद पढ़कर ही बिटिया, निर्मित सभ्य समाज करेगी,
कंधे से कंधे को मिला, दुनिया में नाम करेगी,
रोज विकास की बातें होतीं, पर विकास न दिखता,
है विडम्बना यहाँ यही, सच्चाई कोई न समझता,
होगा असल विकास तभी, जब हर बेटी शिक्षित होगी,
होगा सभ्य समाज तभी, जब हर बेटी शिक्षित होगी....

रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।

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