सूरज राजा कहाँ छुपे तुम
सूरज राजा कहाँ छुपे तुम, अब तो बाहर आओ न।
घेरे हमको घना कुहासा, इसको मार भगाओ न।।
चिड़ियाँ नही चहकने पातीं, आँगन में है धूप न आती।
कई दिनों से सुबह- सबेरे, आते नही मेरे संघाती।।
माँ बाहर जाने न देती, सारा दिन है अलाव तपाती।
दिन-दिन भर घर बैठे-बैठे, अब हमको मजा न आती।।
सूरज तुम तो साथी अपने, आज सुबह तुम आओ न।
हम भी खेलें तुम भी खेलो, अच्छी धूप दिखाओ न।।
सूरज राजा कहाँ छुपे हो, अब तो बाहर आओ न।।
घेरे हमको घना कुहासा, इसको मार भगाओ न।
रचयिता
महेंद्र सिंह,
अनुदेशक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय कुम्भीपुर,
विकास खण्ड-हथगाम,
जनपद-फतेहपुर।
मो०-+919559197350
घेरे हमको घना कुहासा, इसको मार भगाओ न।।
चिड़ियाँ नही चहकने पातीं, आँगन में है धूप न आती।
कई दिनों से सुबह- सबेरे, आते नही मेरे संघाती।।
माँ बाहर जाने न देती, सारा दिन है अलाव तपाती।
दिन-दिन भर घर बैठे-बैठे, अब हमको मजा न आती।।
सूरज तुम तो साथी अपने, आज सुबह तुम आओ न।
हम भी खेलें तुम भी खेलो, अच्छी धूप दिखाओ न।।
सूरज राजा कहाँ छुपे हो, अब तो बाहर आओ न।।
घेरे हमको घना कुहासा, इसको मार भगाओ न।
रचयिता
महेंद्र सिंह,
अनुदेशक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय कुम्भीपुर,
विकास खण्ड-हथगाम,
जनपद-फतेहपुर।
मो०-+919559197350

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