बसंत पंचमी
ऋतु बदलने की बारी आई,
बसंत पंचमी जो है आई।
ज्ञान की देवी सरस्वती को नमन,
इसी दिन हुआ था इनका जन्म।
फसल भी तैयार हो चली है,
पीली -पीली सरसों भी फैली है।
जड़-चेतन में नवजीवन संचार,
अपूर्व ऊर्जा व आनन्द की बहार।
प्रकृति सौंदर्य भी बढ़ता जाए,
देह में स्फूर्ति भी बढ़ती जाए।
सकारात्मक ऊर्जा जीवन में आए,
सभी सुमन खिल-खिल जाएँ।
फूलों की तरह जीवन महकता रहे,
माँ शारदा ज्ञान की गंगा बहाती रहे।
पतंग की डोर आसमां तक जाए,
बसंत पंचमी की दिल से शुभकामनाएँ।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
बसंत पंचमी जो है आई।
ज्ञान की देवी सरस्वती को नमन,
इसी दिन हुआ था इनका जन्म।
फसल भी तैयार हो चली है,
पीली -पीली सरसों भी फैली है।
जड़-चेतन में नवजीवन संचार,
अपूर्व ऊर्जा व आनन्द की बहार।
प्रकृति सौंदर्य भी बढ़ता जाए,
देह में स्फूर्ति भी बढ़ती जाए।
सकारात्मक ऊर्जा जीवन में आए,
सभी सुमन खिल-खिल जाएँ।
फूलों की तरह जीवन महकता रहे,
माँ शारदा ज्ञान की गंगा बहाती रहे।
पतंग की डोर आसमां तक जाए,
बसंत पंचमी की दिल से शुभकामनाएँ।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
बहुत ही सुंदर और शानदार
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