बसंत गीत

गइल बसंत आय, गइल बसंत आय।
मनवां मुग्ध मुसकाइल बा।।

हरी-हरी धरती पे हरियाली चमके।
बेला, गुलाब, जूही बगिया में महके।।
फैइल सुगंध सब हर्षित हो जाय।
मनवां मुग्ध मुसकाइल बा।।

अमवां बऊरल, महुआ कुचाइल।
पेड़वन में नई-नई कली खिलल भाई।।
सरसों फुलल, गेहुआँ लहराय।
मनवां मुग्ध मुसकाइल बा।।

पपिहा भी पीऊ-पीऊ छेड़ तरनवां।
गावै मयूरवा भी झूम-झूम गनवां।।
हे भइया अब ल हो पियरी रंगाय।
मनवां मुग्ध मुसकाइल बा।।

रचयिता
अरविन्द कुमार सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धवकलगंज, 
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।

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