बसंत
देखो-देखो आया मौसम ऋतुराज
धरती सजी किया प्रकृति ने श्रृंगार
खिली है सरसों बौराने लगे आम
हर मन उमड़े एक नया उत्साह
देखो-देखो आया बसंत बहार
हर कण खिला-खिला है आकाश
कुहू-कुहू कोयल छेड़े मधुर तान
सब जीवों में बसे आनंदित प्राण
सीना चीर बादलों का आया भास्कर
इन्द्रधनुषी रंग माधव हुआ प्रकाशमान
बसंत पंचमी हुआ सरस्वती का आगमन
है सुबह सवेरे उठ पूजा करने का विधान
हे विद्या की देवी मम हृदय भरो ज्ञान
निश्छल जिएँ करें हर पल तेरा ध्यान
रचयिता
स्वाती सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रवांसी,
विकास खण्ड-परसेंडी,
जनपद-सीतापुर।
धरती सजी किया प्रकृति ने श्रृंगार
खिली है सरसों बौराने लगे आम
हर मन उमड़े एक नया उत्साह
देखो-देखो आया बसंत बहार
हर कण खिला-खिला है आकाश
कुहू-कुहू कोयल छेड़े मधुर तान
सब जीवों में बसे आनंदित प्राण
सीना चीर बादलों का आया भास्कर
इन्द्रधनुषी रंग माधव हुआ प्रकाशमान
बसंत पंचमी हुआ सरस्वती का आगमन
है सुबह सवेरे उठ पूजा करने का विधान
हे विद्या की देवी मम हृदय भरो ज्ञान
निश्छल जिएँ करें हर पल तेरा ध्यान
रचयिता
स्वाती सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रवांसी,
विकास खण्ड-परसेंडी,
जनपद-सीतापुर।
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