यशस्वी शौर्य पुत्र को नमन
मातृभूमि की आजादी में,
जिसका सब कुछ अर्पण है।
जिसका नारा बना देश में
युवा वर्ग का दर्पण है।
अंग्रेजों की अधीनता,
मैं किचिंत नहींं सहूँगा।
खून मुझे दो प्यारे युवको!
मैं तुमको आजादी दूँगा।
मेरे भारत के जाँबाजों,
बढ़कर लाल किला ले लो।
दिल्ली चलो, चलो दिल्ली,
अपने प्राणों पर खेलो।
तुमनें ही 'जय हिन्द' सैन्य,
का सुन्दर किया गठन।
प्रिय सुभाष! नेता जी!
तुमको बारम्बार नमन।
जिसका सब कुछ अर्पण है।
जिसका नारा बना देश में
युवा वर्ग का दर्पण है।
अंग्रेजों की अधीनता,
मैं किचिंत नहींं सहूँगा।
खून मुझे दो प्यारे युवको!
मैं तुमको आजादी दूँगा।
मेरे भारत के जाँबाजों,
बढ़कर लाल किला ले लो।
दिल्ली चलो, चलो दिल्ली,
अपने प्राणों पर खेलो।
तुमनें ही 'जय हिन्द' सैन्य,
का सुन्दर किया गठन।
प्रिय सुभाष! नेता जी!
तुमको बारम्बार नमन।
रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
Comments
Post a Comment