शिक्षक के प्रति

तुम फूल बनो सही अर्थों में,
जिससे जग में तेरा नाम रहे|
तुम पढ़ो - पढ़ाओ जग को रे,
विज्ञान ही जग का ज्ञान रहे||1||

आइंस्टाइन बनें मेरे बालक,
बाला-कल्पना मैडम क्यूरी|
ऊर्जा तुम उनमें ऐसी भरो,
हर बालक बने जग की धुरी||2||

हम राह न देखे औरों की,
पथ कैसे किसने बनाया है|
हम चले सदा उन राहों पर,
जो राह लक्ष्य को भाया है||3||

जो शिष्य तुम्हारे प्यारे हैं,
वो राम कृष्ण और गौतम हैं|
है दुनिया इनको देख रही,
सबकी आँखों के रौनक हैं||4||

ऊर्जा तुझको ही देनी है,
तुम गुरू वशिष्ठ के वंशज हो|
दो परम ज्ञान की ऊर्जा को,
तेरा शिष्य भी ऊर्जावान रहे||5||

तुम फूल बनो सही अर्थों में,
जिससे जग में तेरा नाम रहे||

रचयिता
सन्तोष कुशवाहा,
विज्ञान शिक्षक,
कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय मनिहारी,
विकास क्षेत्र-मनिहारी, 
जनपद-गाजीपुर। 
           एवं 
ब्लॉक स्काउट मास्टर मनिहारी/ब्लॉक खेल प्रभारी मनिहारी गाजीपुर।

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  1. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति

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