काली बन जाएगी

कब तक चीखेगी तड़पेगी चिल्लाएगी।
देखना, देखना,
एक दिन आएगा यह काली बन जाएगी।।
 आज उसी की चिता जली है।
गोद में जिसके दुनिया पली है।
जो खामोश रही थीं अब तक,
उन लाशों में भी खलबली है।
सहमी कब तक सबके आगे गिड़गड़ाएगी।
एक दिन आएगा यह काली यह काली बन जाएगी।।
 कभी है टिंकल कभी निर्भया।
अस्मिता को छलनी कर गया।
वह हैवान दुराचारी था,
 रूह को लहूलुहान कर गया।
मर्दन करके लहू भी उसका पी जाएगी,
एक दिन आएगा यह काली बन जाएगी बन जाएगी यह काली बन जाएगी बन जाएगी।।
कब तक चीखेगी तड़पेगी चिल्लाएगी।
देखना, देखना,
एक दिन आएगा यह काली बन जाएगी।।
                       
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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