हवा और सूरज
हवा और सूरज में फिर से,
छिड़ गई बहस निराली।
बोली हवा, सूरज भय्या से,
सुन लो बात हमारी।
पहले शर्त् रखी तुमने थी,
अब सुनलो शर्त् हमारी।
चलते राही की साँसें,
जो शीघ्र बंद करेगा,
हम दोनों में वही,
अब सबसे बलवान रहेगा।
पहले की ही भाँति,
जब सूरज ने जोर लगाया।
लेकिन राही की साँसों को,
तनिक रोक न पाया।
बारी जब हवा की आयी,
करदी ऑक्सीजन बंद.
हाँफ़ा राही लेट गया,
और साँसें गयीं थम।
बोला सूरज हवा से, बहिना,
ये विचार कहाँ से आया,
चाल चलोगी ऐसी न्यारी,
मैं क्यों न समझ पाया।
सुन बात सूरज भय्या की,
हवा मन ही मन मुस्कायी।
चूर किया दंभ सूरज का,
और फ़िर उससे बतलायी।
समझ - समझ की बात है भय्या,
और समझ - समझ का खेल,
न समझे तुम, बात पते की,
और हो गये इसमें फेल।
रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
छिड़ गई बहस निराली।
बोली हवा, सूरज भय्या से,
सुन लो बात हमारी।
पहले शर्त् रखी तुमने थी,
अब सुनलो शर्त् हमारी।
चलते राही की साँसें,
जो शीघ्र बंद करेगा,
हम दोनों में वही,
अब सबसे बलवान रहेगा।
पहले की ही भाँति,
जब सूरज ने जोर लगाया।
लेकिन राही की साँसों को,
तनिक रोक न पाया।
बारी जब हवा की आयी,
करदी ऑक्सीजन बंद.
हाँफ़ा राही लेट गया,
और साँसें गयीं थम।
बोला सूरज हवा से, बहिना,
ये विचार कहाँ से आया,
चाल चलोगी ऐसी न्यारी,
मैं क्यों न समझ पाया।
सुन बात सूरज भय्या की,
हवा मन ही मन मुस्कायी।
चूर किया दंभ सूरज का,
और फ़िर उससे बतलायी।
समझ - समझ की बात है भय्या,
और समझ - समझ का खेल,
न समझे तुम, बात पते की,
और हो गये इसमें फेल।
रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
Nics
ReplyDeleteVery nice 👌👍
ReplyDelete