हमारा अस्तित्व व जैव विविधता
22 मई का दिन है आया,
विश्व जैव विविधता के लिए मनाया।
पृथ्वी पर लाखों जीवों की प्रजाति,
यही तो जैव विविधता दर्शाती।
जल, थल व वायु चहुँओर ये फैली,
वनस्पति व जीवों से हुई रंगीली।
पर पहले जैसी नहीं रही ये धरती,
चील, बाज, गौरैया अब ना चहकतीं।
रंग-रगीली थी जो सागर की गागर,
अब झेल रहे जीव, मूँगा, शैवाल संकटता की मार।
जैव विविधता में आयी जो कमी,
बाढ़, सूखा, तुफान भी ना थमी।
जीव-जन्तु, नदी, पानी, बयार
समुद्र, महासागर व पठार।
हमारे अस्तित्व के हैं सब साझेदार,
जागरूकता फैला, आओ! बनें हम जिम्मेदार।
पारिस्थितिक तंत्र में बनी जीवों की कड़ी,
खाद्य श्रृंखला में हर जीव की भागीदारी बड़ी।
उत्पादक, उपभोक्ता जीव भार व जैव पिरामिडें,
जीव-संख्या को प्रभावित करते आँकड़ें।
जीव, वन्य व मानव का बना रहे संतुलन,
बहुरंगी दुनिया लगे मनभावन।
सहेजे, संसाधन व उनमें लाएँ वृद्धि
वृक्ष लगाने से आये समृद्धि।
लेकर इस वर्ष का थीम...
"हमारी जैवविविधता, हमारा भोजन, हमारा स्वास्थ्य",
पूर्ण हों जब संसाधन होंगे अराध्य,
देश की अग्रसरता ही हमारा ड्रीम।।
रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।
विश्व जैव विविधता के लिए मनाया।
पृथ्वी पर लाखों जीवों की प्रजाति,
यही तो जैव विविधता दर्शाती।
जल, थल व वायु चहुँओर ये फैली,
वनस्पति व जीवों से हुई रंगीली।
पर पहले जैसी नहीं रही ये धरती,
चील, बाज, गौरैया अब ना चहकतीं।
रंग-रगीली थी जो सागर की गागर,
अब झेल रहे जीव, मूँगा, शैवाल संकटता की मार।
जैव विविधता में आयी जो कमी,
बाढ़, सूखा, तुफान भी ना थमी।
जीव-जन्तु, नदी, पानी, बयार
समुद्र, महासागर व पठार।
हमारे अस्तित्व के हैं सब साझेदार,
जागरूकता फैला, आओ! बनें हम जिम्मेदार।
पारिस्थितिक तंत्र में बनी जीवों की कड़ी,
खाद्य श्रृंखला में हर जीव की भागीदारी बड़ी।
उत्पादक, उपभोक्ता जीव भार व जैव पिरामिडें,
जीव-संख्या को प्रभावित करते आँकड़ें।
जीव, वन्य व मानव का बना रहे संतुलन,
बहुरंगी दुनिया लगे मनभावन।
सहेजे, संसाधन व उनमें लाएँ वृद्धि
वृक्ष लगाने से आये समृद्धि।
लेकर इस वर्ष का थीम...
"हमारी जैवविविधता, हमारा भोजन, हमारा स्वास्थ्य",
पूर्ण हों जब संसाधन होंगे अराध्य,
देश की अग्रसरता ही हमारा ड्रीम।।
रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।
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