मातृ दिवस

"माँ" की ममता,
"माँ" का मान,
बिलकुल जैसे है आसमान।
ना आदि है ना अंत है,
इसका प्यार अनंत है।

      पूज लें मंदिर या मस्जिद,
      पूजें चाहे हम शालिग्राम,
      पूज ले सारे ईश की प्रतिमा।
      इतनी कहीं कृपा न खिलती,
      जितनी अपने "माँ" से मिलती।

छोटी सी भी चोट लगे,
या थोड़ा सा भी डर लगे।
चाहें जितना कोई भी रोक ले,
मुख से तो बस "माँ" निकले।
छोटा सा ये शब्द भले है,
चमत्कार ये बड़े करे है।
       
     हर बच्चे की पहली शिक्षक,
     संस्कारों की जो है रक्षक।
     डाँट में जिसके छिपा है प्यार,
     प्रेम लुटाती जो है अपार,
     उसको नमन है शत-शत बार।

"माँ" की ममता,
"माँ" का मान,
बिलकुल जैसे है आसमान।
ना आदि है ना अंत है,
इसका प्यार अनंत है।

रचयिता
पूजा यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उदयपुर,
विकास खण्ड-हरहुआ,
जनपद-वाराणसी।

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