ऐसी होती है माँ
आशाओं की ज्योति जलाती पल-पल,
स्नेह नयन भर बहती कल-कल,
अपने सपने बच्चों को देती,
ऐसी सहज सरल होती है माँ।
कोमलता भर भावों में स्नेह लुटाती रहती है,
पीड़ा को अंदर रखे अधरों पे मुस्कान सजाती है।
जिसकी गोदी में सर रखके, विस्मृत हो जाती हर पीड़ा,
ऐसी मीठी पुड़िया वाली, दवाई होती है माँ।
बन कठोर बाहर-बाहर अंतर में करुणा रहती है,
अपने बच्चे के लिए हर पीरव्यथा वह सहती है,
अपनी चिंतातनिक नहीं लड़ जाती हर बाधाओं से,
ऐसी हिम्मत वाली बहादुर मन वाली होती है माँ।
हर गलती पर इक प्यारी मीठी झिड़की देती है ,
पर अगले ही पल वो जीवन के नए तराने गाती है,
सबको जीवन बगिया के रंग-बिरंगे फूल बनाकर,
ऐसी मधुर-मधुर महकाने वाली होती है माँ।
रचयिता
नीलम कुमारी,
प्रधानध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय मिश्रापुर,
विकास क्षेत्र-खैराबाद,
जनपद-सीतापुर।
स्नेह नयन भर बहती कल-कल,
अपने सपने बच्चों को देती,
ऐसी सहज सरल होती है माँ।
कोमलता भर भावों में स्नेह लुटाती रहती है,
पीड़ा को अंदर रखे अधरों पे मुस्कान सजाती है।
जिसकी गोदी में सर रखके, विस्मृत हो जाती हर पीड़ा,
ऐसी मीठी पुड़िया वाली, दवाई होती है माँ।
बन कठोर बाहर-बाहर अंतर में करुणा रहती है,
अपने बच्चे के लिए हर पीरव्यथा वह सहती है,
अपनी चिंतातनिक नहीं लड़ जाती हर बाधाओं से,
ऐसी हिम्मत वाली बहादुर मन वाली होती है माँ।
हर गलती पर इक प्यारी मीठी झिड़की देती है ,
पर अगले ही पल वो जीवन के नए तराने गाती है,
सबको जीवन बगिया के रंग-बिरंगे फूल बनाकर,
ऐसी मधुर-मधुर महकाने वाली होती है माँ।
रचयिता
नीलम कुमारी,
प्रधानध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय मिश्रापुर,
विकास क्षेत्र-खैराबाद,
जनपद-सीतापुर।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteएस०कौशिक
अद्भुत रचना।।
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