माँ की सीख

मेरी माँ, प्यारी माँ,
जीवन की जननी तुम माँ।
  हृदय में तेरे प्रेम निश्छल,
कम ना होता कभी वात्सल्य।
     निर्मल तेरा अन्तस्तल,
        संकट में भी अविचल।।

 सकारात्मक को तुमने धरा,
       संघर्षों से जीवन भरा।
धैर्य धर तुम बनीं धीरजा,
तुम सा ना कोई होगा दूजा।।

हम से जो तुमने स्वप्न संजोये,
स्वाभिमान व आत्मविश्वास को जो दिये। 
     ना थीं कोई ऊँची डिग्रियाँ,
पर सच्चाई व इमानदारी का सबक जो दिया।।

   बच्चों सुन लो इतना जान,
"पढ़-लिख बढ़ाओ देश का मान।
तुमसे ही है माँ की पहचान"
रखूँ सदा मैं स्मरण यह ज्ञान।।

कदम-कदम की हर परख में,
स्वयं को सँवारने की दरक में।
      बस एक ही मेरी है मन्नत,
   तुम संग जीवन है जन्नत।।

हर सीख तेरी रहे स्मरण,
    तेरी ही तो मैं संस्करण।
तुम ही हो जीवन का दर्पण,
हर माँ शक्ति को मेरा नमन।।

रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।

Comments

Total Pageviews

1164403