विश्व मातृ दिवस
मातृ दिवस है माँ का दिन,
मई के दूसरे रविवार को आता दिन।
सभी माताओं को समर्पित ये दिन,
यही नहीं सभी माँ के दिन।
जब बच्चा है जन्म लेता,
तब रिश्ता ये माँ से जुड़ता।
असहनीय पीड़ा वो सहती है,
तब इस दुनिया में लाती है।
गहरा रिश्ता है बनता जाता,
जैसे ही वक़्त गुजरता जाता।
प्रेम की डोर से जुड़ा ये रिश्ता,
माँ की दुआओं से बँधा है रिश्ता।
बच्चे की तकलीफ में बैचेन है होती,
सारी सारी रात नहीं है सोती।
जरा सा पुचकार जब है देती,
वही दवा तब है बन जाती।
इस रिश्ते की गहराई न नापें,
क्योंकि कोई नहीं बनी है मापें।
इसकी गहराई अनन्त है होती,
त्याग और प्यार को है समर्पित।
माँ ही प्यार और संस्कार है देती,
इससे अच्छा न कोई गुरु है होती।
अच्छा इंसान हमें बनाती,
जीवन की सही राह है दिखाती।
सभी माताओं का सम्मान करो,
जग में उनका नाम करो।
बुढ़ापे का सहारा बनो,
न उनको बेसहारा करो।
हर रोज मातृ दिवस होगा,
जब उनकी सेवा का भाव होगा।
कभी न कर्ज उतार पाऊँ मैं,
शत-शत नमन शीश झुकाऊँ मैं।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
मई के दूसरे रविवार को आता दिन।
सभी माताओं को समर्पित ये दिन,
यही नहीं सभी माँ के दिन।
जब बच्चा है जन्म लेता,
तब रिश्ता ये माँ से जुड़ता।
असहनीय पीड़ा वो सहती है,
तब इस दुनिया में लाती है।
गहरा रिश्ता है बनता जाता,
जैसे ही वक़्त गुजरता जाता।
प्रेम की डोर से जुड़ा ये रिश्ता,
माँ की दुआओं से बँधा है रिश्ता।
बच्चे की तकलीफ में बैचेन है होती,
सारी सारी रात नहीं है सोती।
जरा सा पुचकार जब है देती,
वही दवा तब है बन जाती।
इस रिश्ते की गहराई न नापें,
क्योंकि कोई नहीं बनी है मापें।
इसकी गहराई अनन्त है होती,
त्याग और प्यार को है समर्पित।
माँ ही प्यार और संस्कार है देती,
इससे अच्छा न कोई गुरु है होती।
अच्छा इंसान हमें बनाती,
जीवन की सही राह है दिखाती।
सभी माताओं का सम्मान करो,
जग में उनका नाम करो।
बुढ़ापे का सहारा बनो,
न उनको बेसहारा करो।
हर रोज मातृ दिवस होगा,
जब उनकी सेवा का भाव होगा।
कभी न कर्ज उतार पाऊँ मैं,
शत-शत नमन शीश झुकाऊँ मैं।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
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