३२७~ सीमा श्रीवास्तव प्रधानाध्यापिका प्राथमिक विद्यालय हासिमपुर भेदपुर, विकास खण्ड- हसवां, जनपद- फ़तेहपुर।

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-फतेहपुर की अनमोल रत्न शिक्षिका बहन सीमा श्रीवास्तव जी से कराने जा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और लगातार प्रेरक प्रयासों से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए भी प्रेरक और अनुकरणीय है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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प्राथमिक विद्यालय हासिमपुर भेदपुर
विकास खण्ड- हसवां
फ़तेहपुर- फ़तेहपुर।

"कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
लहरों से डर कर नौका कभी पार नहीं होती।।"

💁🏻 इन्हीं शब्दों को चरितार्थ करने के लिए मैं सीमा श्रीवास्तव सन् 2015 में प्राथमिक विद्यालय हासिमपुर भेदपुर में बतौर प्रधानाध्यापिका कार्यभार ग्रहण किया।
👉🏻 कुछ अच्छा करने का जज्बा लिए जब मैं यहाँ आई तो सर्व प्रथम यहाँ के भौतिक परिवेश को सुधारने का कार्य किया। जो विद्यालय कम, पशुओं के बाँधने का स्थान, लोगों के कण्डे पाथने व अपना अनाज सुखाने का स्थान बना हुआ था। यहाँ तक कि प्रार्थना सभा में लोगों एवं जानवरों का आवागमन प्रार्थना स्थल पर होने से माहौल व विद्यालय परिवेश समस्याओं से जूझ रहा था। विद्यालय को अपने घर व खलिहान की तरह इस्तेमाल करने वाले लोगों से बात कर, समझाकर एवं ग्रामप्रधान व तत्कालीन खण्ड शिक्षाधिकारी की मदद से प्रतिदिन के प्रयास व बच्चों द्वारा प्रार्थना स्थल में लगभग एक घण्टे विभिन्न क्रिया कलाप कराए जाने से लोगों का सहयोग मिलना शुरू हुआ। प्रार्थना स्थल पर प्रार्थना, मॉर्निंग प्रश्न, सुविचार, नीतिपरक कहानी, दैनिक अखबार पढ़वाना, पीटी करवाना, सामूहिक गीत, देश गीत एवं सामान्य प्रश्न करवाना प्रारम्भ किया। बच्चों की साफ सफ़ाई, स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। बाउंड्रीवाल न होने से ग्राम वासियों को यह दैनिक क्रिया कलाप अच्छे से दिखाई देता था, जिससे वें बड़े ही प्रभावित हुए। इसी प्रकार छुट्टी के समय भी गिनती, पहाड़ा, अन्य क्रिया कलाप मैदान में सामूहिक रूप से कराना शुरू किया। जिसका बच्चों व ग्राम वासियों पर अच्छा प्रभाव पड़ा।
👉🏻 सत्र 2015-16 में जब मार्च के महीने में मैंने कार्यभार ग्रहण किया तो यहाँ की छात्र संख्या मात्र 164 थी। अगले सत्र 2016-17 में वह बढ़कर 188 हुई तथा 2017-18 में 211 एवं 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 246 जा पहुँची।
👉🏻 विद्यालय क्रिया कलाप कर साथ ही घर-घर जाकर अभिभावक सम्पर्क किया। नामांकन हेतु प्रोत्साहित किया तथा शिक्षा का उनके जीवन में किस प्रकार उपयोगी सिद्ध करना है यह भी समझाया, जिससे प्रभावित होकर नामांकन की दर लगातार बढ़ती ही जा रही है।

👉🏻 नामांकन का लक्ष्य हासिल करने के पश्चात अब मेरे आगे समस्या थी बच्चों के ठहराव की। जिसके लिए मैंने सप्ताह में एक दिन शनिवार को, "नो बैग डे" प्रारम्भ किया। इस दिन बच्चों को कक्षावार या सामूहिक रूप से विभिन्न कलाओं को सिखाना प्रारम्भ किया, जिससे बच्चों में छिपी प्रतिभाएँ निकलकर सामने आने लगीं। कोई अच्छा गा लेता तो कोई अच्छी कला बनाता, कोई अच्छी क्राफ्टिंग करता तो कोई क्यारियाँ बनाने में जोशीले थे। बस उन नन्हें मुन्नों के साथ मिलकर उनकी प्रतिभाओं को निखारने के काम मैंने शुरू किया। धीरे-धीरे इस दिन विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी शुरू किया। जीतने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया, जिससे बच्चों में उत्साह बढ़ा। अन्य दिनों की अपेक्षा इस दिन बच्चों की अच्छी संख्या रहती।

👉🏻 खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन शुरू किया। जैसे- खो-खो, कबड्डी, दौड़, क्रिकेट आदि। अंत्याक्षरी में भी बच्चे अच्छा आनन्द लेने लगे। डांस प्रतियोगिता में तो बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। खेल प्रतियोगिताओं में बच्चों ने न्याय पंचायत से लेकर ब्लॉक स्तर तक पुरस्कार प्राप्त किया।
👉🏻 बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि करने हेतु एक कार्यक्रम और प्रारम्भ किया। *स्टार ऑफ़ द मन्थ* प्रतिदिन आने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करना एवं माह के अंत में सर्वाधिक दिन आने वाले बच्चों का प्रार्थना स्थल पर ही पुरस्कृत किया जाता है। जिसे देखकर अन्य बच्चे भी प्रोत्साहित होते हैं।

👉🏻 विद्यालय की उच्च कक्षा पास करके जाने वाले ब बच्चों के लिए विदाई समारोह का भी प्रारम्भ किया। बड़े ही जोश व उत्साह से भरे बच्चे संस्कारों के बारे में जान सकें इस उद्देश्य के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कक्षा 4 के बच्चे कक्षा 5 के बच्चों का रोली व टीका लगाकर स्वागत करते हैं। उनके लिए सुंदर सुंदर कार्ड्स बनाते हैं। नृत्य, संगीत, विभिन्न खेलों के पश्चात नाश्ता और विशेष भोजन के साथ ही कुछ उपहार देकर उनकी विदाई की जाती है। इसका प्रभाव ग्रामवासियों पर भी पड़ा। सबने खूब सराहना की।
👉🏻 कक्षाओं में शिक्षण हेतु टीएलएम बनाकर शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया। बच्चों के साथ घुल मिलकर खेल-खेल में शिक्षा देना प्रारम्भ किया। चाक डस्टर के अलावा बच्चों पर स्वयं करके सीखने पर जोर दिया गया। कक्षा-कक्ष के बाहर गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य कराना शुरू किया, जिसका बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़ा। बच्चे मस्ती करके सीखते हैं। प्रत्येक कक्षा के स्तर एवं सामूहिक स्तर के टीएलएम तैयार किये जाते हैं। जिसमें बच्चों का भी सहयोग लिया जाता है।
👉🏻 इन सबके पश्चात मुझे अरविन्दो सोसाइटी के इन्नोवेटिव पाठशाला समूह से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसमें प्रत्येक विषय पर विषयवस्तु तैयार की गयी। बच्चों की मनोविज्ञान के आधार पर मनोदशा समझकर शिक्षण की विधियाँ बताईं गयीं। कक्षा में इसको शुरू करने से ब बच्चों का उत्साह और बढ़ गया। इसमें सर्वप्रथम बच्चों को एकाग्र करने हेतु-मेडिटेशन, वार्मअप, सीटिंग प्लान करके पाठ का प्रारम्भ बच्चों द्वारा फिर रिवीज़न सबसे मज़ेदार पार्ट होता है। जिसमें अनेक गेम शामिल हैं। जैसे- लूडो, साँप सीढ़ी, चक्के पे चक्का, ग्रिडगेम, आदि। बच्चे रोलप्ले द्वारा पाठ को बड़ी आसानी से समझ लेते हैं। एक बार आई पी समूह को विशेष धन्यवाद देना चाहूँगी।
👉🏻 एक विशेष आभार मिशन शिक्षण संवाद का भी, जिससे जुड़ने के बाद अलग ही जोश रहता है। पूरे प्रदेश के उत्कृष्ठ विद्यालयों को देखने का, वहाँ होने वाले नए नए कार्यों को देखने व समझने का सौभाग्य मिलता है। तत्पश्चात अपने विद्यालय को भी उत्कृष्ट श्रेणी में लाने के लिए आवश्यक प्रयास, जो कुछ सफल होते हैं। एक सकारात्मक सोंच का विकास होता है। समाज में बेसिक शिक्षा की नकारात्मक छवि को सकारात्मक करने का वीणा उठाया है और लगातार प्रयासरत हैं।

*हम शिक्षक हैं, शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे आओ बच्चों हम अपनी तकदीर बदल देंगे।*

👉🏻 विभिन्न नए-नए प्रयोगों के साथ ही अपने विद्यालय को आकर्षक रूप देने का भी सपना कहीं न कहीं पल रहा था, जिसपर शासन से प्राप्त धनराशि द्वारा पूरा नहीं होना था। यह जानते हुए भी मैंने विद्यालय भवन को पुट्टी और डिस्टेम्पर आदि से पुताई करवाकर, पौधरोपण एवं गमले आदि का खर्च स्वयं के वेतन से किया और विद्यालय को आकर्षक रूप प्रदान किया।
इसी बीच जानकारी हुई सोलहवें वित्त से बाउंड्रीवाल का बजट आया है। प्रधान जी से मिलकर विद्यालय की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की तथा उनको बाउंड्रीवाल हेतु तैयार किया । अतः गतवर्ष विद्यालय में बाउंड्रीवाल का कार्य भी सम्पन्न हो गया। जिससे प्रतिदिन होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिल गया। वन विभाग में बात करके वृक्षारोपण का कार्य भी इस वर्ष वृहद रूप में सम्पन्न कराना है।
👉🏻 प्रतिवर्ष होने वाले राष्ट्रीय पर्वों को ग्राम प्रधान, समिति अध्यक्ष, ग्राम वासियों एवं विद्यालय परिवार के साथ मिलकर धूमधाम से सम्पन्न किया जाता है।
👉🏻 विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन राष्ट्रीय कार्यक्रमों को प्रोत्साहन व आयोजन समय-समय पर विद्यालय में होता रहता है।
👉🏻 बच्चों को शिक्षित करना, उन्हें संस्कारवान बनाना, जीवन में नैतिकता का मूल्य समझना, उनका सर्वांगीण विकास कर देश का भावी एवं सफ़ल नागरिक बनाना ही मेरे विद्यालय का प्रथम लक्ष्य है। जिसमें समस्त स्टाफ़ का सहयोग सदैव मिलता है। सभी के सहयोग से अपने विद्यालय को श्रेष्ठ की सूची में लाने का प्रयास है।

सीमा श्रीवास्तव
प्रधानाध्यापिका
प्राथमिक विद्यालय हासिमपुर भेदपुर
विकास खण्ड- हसवां।
जनपद- फ़तेहपुर।

संकलन सहयोग: बबलू सोनी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

साभारः
टीम मिशन शिक्षण संवाद
16-05-2019

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