वर्षा जब बरसात करेगी

वर्षा जब बरसात करेगी,
प्यासी भू की प्यास मिटेगी।
काले-काले बन कजरारे,
आएँगे जब  मेघा प्यारे।
शीतल-शीतल हवा बहेगी,
फिर तो अमृत बूँद गिरेगी।
     वर्षा जब बरसात करेगी।
प्यासी धरती प्यास मिटाकर,
जन जीवन में आस जगाकर।
श्रम के मोती बूँद-बूँद बन,
वृक्ष, लताएँ, वन और उपवन।
मोद मगन सब प्राणी होंगे,
भरे सरोवर जब पानी होंगे।
खेत-खेत में फसल उगेगी,
ये माटी भी श्रृंगार करेगी।
      वर्षा जब बरसात करेगी।
चुटकी-चुटकी पौध लगाकर,
नूतन मन के स्वप्न सजाकर।
हर किसान की माटी सोना,
उपजाती जो है अन्न सलोना।
छप-छप करते खेत भरेंगे,
भीगे-भीगे से सभी चलेंगे।
बीज-बीज से पौध बनेगी,
तब धरती से समृद्धि उगेगी।
      वर्षा जब बरसात करेगी।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

Total Pageviews