बुद्धम शरणं गच्छामि

छोड़कर धन ऐश्वर्य का भण्डार
माता, पिता और पत्नी का प्यार।
निकल गए वो दूर देश
तजकर अपना वो छद्म वेश।।
लगा दिया साधना में मन
जला दिया तप में अपना तन।।
पाया प्रकाश व ज्ञान शुद्ध
बन गए सिद्धार्थ से बुद्ध।।
दिए अनगिनत फिर उपदेश
सुनने को व्याकुल कितने देश।।
स्वयं पर विजय प्राप्त करो तुम
ईर्ष्या द्वेष से दूर रहो तुम।।
भूत, भविष्य में न उलझने का ज्ञान,
सँवारों सुधारो वर्तमान।।
शक, संदेह दूरियाँ बढ़ाये
सच्चा प्रयास मंज़िल पहुँचाये।।
परम् ज्ञान यदि पाना है तो बुद्ध की राह पर चल।
पंच अनुशीलन अपना ले, किसने देखा है कल।।

बुद्धम शरणं गच्छामि
धम्मम शरणं गच्छामि
संघम शरणं गच्छामि

रचयिता 
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।

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