कहाँ तुम चले गए

अपने माता पिता की आस
उनका सपना और विश्वास
तोड़कर चले गए।
कहाँ तुम चले गए।
लोगों का बढ़ता लालच और स्वार्थ।
लापरवाही और बदइंतजाम
जिससे तुम छले गये।
कहाँ तुम चले गए।
बढ़ता सम्वेदना रहित व्यवहार
मरता इंसानियत का भाव।
जिसके कारण तुम चले गए।
कहाँ तुम चले गए।
तुम तो थे भारत माँ के लाल
छीनकर ले गई मौत अकाल।
छोड़कर अपनों को मंझधार
इतनी जल्दी क्यों चले गए।
कहाँ तुम चले गए।
धन्य हो केतन जैसा लाल
प्राण अपने संकट में डाल।
आठ सुत बचा लिए।
कहाँ तुम चले गए।
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए।

सूरत में आग लगने से अकाल मौत मारे गए बच्चों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
   
रचयिता
जमीला खातून, 
प्रधानाध्यापक, 
बेसिक प्राथमिक पाठशाला गढधुरिया गंज,
नगर क्षेत्र मऊरानीपुर, 
जनपद-झाँसी।

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