माँ को नमन
घर को मंदिर बनाती है माँ,
आँगन की रौनक बढ़ाती है माँ।
लाख दुख दर्द हँसकर है सहती,
भूले से भी वो किसी से न कहती।
बीमारी मे भी दायित्व है निभाती,
परिवार के लिए सब सह जाती।
अपनी कभी भी फिक्र न करती,
सदा खुश निज बच्चों संग रहती।
अपनी हिम्मत से घर है सम्हाले,
माँ को नमन करो ये दुनियावाले।
आँगन की रौनक बढ़ाती है माँ।
लाख दुख दर्द हँसकर है सहती,
भूले से भी वो किसी से न कहती।
बीमारी मे भी दायित्व है निभाती,
परिवार के लिए सब सह जाती।
अपनी कभी भी फिक्र न करती,
सदा खुश निज बच्चों संग रहती।
अपनी हिम्मत से घर है सम्हाले,
माँ को नमन करो ये दुनियावाले।
रचयिता
अभिषेक शुक्ला,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा,
विकास क्षेत्र-अमरिया,
जिला-पीलीभीत।
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