दक्षिण-दक्षिण संवाद दिवस
दक्षिण-दक्षिण संवाद की प्रक्रिया द्वारा,
विकासशील देशों को आत्मनिर्भर बनाना है।
तकनीकी आदान-प्रदान की प्रक्रिया से,
अति पिछड़े राष्ट्र को विश्व में आगे लाना है।।
विकासशील देशों के लिए तृतीय युद्ध के बाद,
'दक्षिण' शब्द का प्रयोग किया गया।
1945 के बाद समस्त विश्व में,
राजनीतिक शब्द उत्तर-दक्षिण में बाँटा गया।।
उत्तर में सभी साम्राज्यवादी धनी देश हैं,
दक्षिण में शोषण के शिकार गरीब देश हैं।
अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों की प्रासंगिकता हेतु,
''NEO' की स्थापना करते, सभी देश हैं।।
सकारात्मक सहयोग न मिलने के कारण,
विकासशील देशों ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग शुरू किया।
आपसी विचार विमर्श की प्रक्रिया द्वारा,
विकासशील देशों में आत्मनिर्भरता को तेज किया।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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