प्यारी मीना
मीना प्यारी बेटी सबकी,
करती है प्यारी बातें।
कहती है बात पते की और,
देती सबको सौगातें।।
मीना के संग मिट्ठू की है,
अच्छी और सच्ची बोली।
राजू, मीना, मिट्ठू की है,
रहती संग-संग में टोली।।
राजू, मिट्ठू, मीना की ये,
तिकड़ी तिकड़म करती रहती।
आवाज उठाती, डटकर ये,
करता कोई जब ग़लती है।।
मीना में चतुराई है भरी,
और बुद्धि-विवेक भी पाया।
मीना जैसी बच्ची ने है,
सबको ये सदा समझाया।।
शिक्षा ही धन है सच्चा,
शिक्षा ही सच्चा गहना।
शिक्षा बिन सब खाली है,
सब मानो मेरा कहना।।
राजू चिराग है घर का तो,
मीना भी जग-मग ज्योति है।
दो प्यार-दुलार हमें भी सब,
ये बेटी की अभिव्यक्ति है।।
धन-दौलत बेटी को समझो,
मत करो दहेज से शादी।
और बचपन में शादी करके,
मत करना तुम बर्बादी।।
अबला न रही नारी अब तो,
सबला और शक्ति कहाती है।
माँ, बेटी, बहना और पत्नी,
नारी हर फर्ज निभाती है।।
सदियों से दमित रही नारी,
और बन्धन पाती आयी है।
रिश्ते है निभाती तन-मन से,
वह स्नेह लुटाती आती आयी है।।
इन बातों पर करती विचार,
मीना सबको समझाती है।
हो बात दहेज या बाल विवाह,
झट से सब वह सुलझाती है।।
शाला जाती, मेहनत करती,
डटकर मुश्किल से लड़ती है।
चतुर, सयानी, मीना ये,
हल सबकी मुश्किल करती है।।
हर बाला हो मीना जैसी,
विश्वास और साहस वाली।
हक और अधिकारों की खातिर,
जागरुक सदा रहने वाली।।
रचयिता
शिखा वर्मा,
इं०प्र०अ०,
उच्च प्राथमिक विद्यालय स्योढ़ा,
विकास क्षेत्र-बिसवाँ,
जनपद-सीतापुर।
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