हैप्पी ग्रैंडपेरेंट्स डे
दादा-दादी घर की नींव होते हैं,
बड़ों के होने से, घर सजीव होते हैं।
वट वृक्ष सा परिवार को छाया देते,
अनुभव के वो, बहुत करीब होते हैं।।
डाँट-फटकार, प्यार दिखाते,
पोता-पोती पर जान लुटाते।
मुश्किल वक्त में सहारा देते,
जीवन का वह पाठ पढ़ाते।।
उनको प्यारे होते पोता-पोती,
मिठाई, खिलाओ मनोरंजन होती।
बच्चों संग, वो भी बच्चा बन जाते,
उँगली पकड़कर चलना सिखाते।।
घुटने दर्द और चश्मा धुँधले होते,
उम्र की दहलीज पर कुछ थके होते।
फिर भी घर को परम्परा-संस्कार देते,
दादा-दादी, नई पीढ़ी को रोशनी होते।।
दादा-दादी होते, सदा पैतृक स्तम्भ,
गाँव समाज में होता उनसे ही दंभ।
बच्चों पर वो, अपना नेह लाड़ लुटाते हैं,
11 सितम्बर को 'ग्रैंड पैरेंट्ड डे' मनाते हैं।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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