जीने दो
तर्ज - तुम तो ठहरे परदेसी
जियो और जीने दो,
का नारा हम लगाएँगे।
लगा गले एक दूजे को,
गंगा प्रेम की बहाएँगे।
न युद्ध हमें करना है,
मन शुद्ध हमें रखना है।
ईर्ष्या द्वेष लालच को,
न मन कभी लाएँगे।
लगा गले एक दूजे को,
गंगा प्रेम की बहाएँगे।
जियो और...........
जातिवाद मिटाना है,
भेद भाव हटाना है।
नस्लवाद की नस्लें,
जड़ से हम मिटाएँगे।
लगा गले एक दूजे को,
गंगा प्रेम की बहाएँगे।
जियो और...........
सदाचार संस्कार से,
व्यक्तित्व हम सजाएँगे।
त्याग सारे दुर्गुणों को,
अहिंसा को अपनाएँगे।
लगा गले एक दूजे को,
गंगा प्रेम की बहाएँगे।
जियो और...........
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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