कमाल कर दिया

बेटी सुनीता तूने,

कमाल कर दिया।

बढ़ा के मान बेटियों का,

धमाल कर दिया।


कमजोर नहीं बेटियाँ,

ये जग को बता दिया।

चूम अंतरिक्ष को,

है परचम लहरा दिया।


हिम्मत और लगन से,

हर सपना साकार है किया।

नामुमकिन को मुमकिन,

हर बार कर दिया।


गोताखोर और तैराकी,

तुझको बहुत है भाए।

अंतरिक्ष में तुमने कई,

हैं अंतरिक्षयान उड़ाए।


नौसेना पोत चालक,

कभी हेलीकॉप्टर पायलट।

बन धाविका मैराथन की,

हैं नए कीर्तिमान रचाए।


जीवों को प्रेम करके,

तूने धर्मार्थ कमाए।

कोमल हृदय में तेरे,

कभी ना स्वार्थ समाए।


धन्य है वो माई,

जिसने तुझको जनम दिया।

दुनिया के हर शीश ने,

आज तुझको नमन किया।


इतिहास के पन्ने सदा,

तेरी गाथा गाएँगे।

आएगी बात अंतरिक्ष की,

हम तुमको गुनगुनाएँगे।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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