भैया गजोधर
हम सबको को हँसाकर,
खुद ही विदा हो गए।
राजू जी आज हमसे,
क्यों जुदा हो गए?
कॉमेडी तेरी कमाल की,
मिमिक्री धमाल थी।
गजोधर भैया तेरी,
हाजिरजवाबी बवाल थी।
नेता और अभिनेता,
ना छोड़ा किसी को तुमने।
डुबा के हास्य रस में,
बाण छोड़े सभी पर तुमने।
तेरी हर बात थी निराली,
हर लफ्ज़ लाजवाब था।
तेरी कॉमेडी का जादू,
छाया हम पे बेहिसाब था।
छिपा कर दर्द अपने,
हम सबको हँसा गए।
गजोधर भैया जी तुम,
हमको जीना सिखा गए।
हम तुमको भूल जाएँ,
ये मुमकिन नहीं गजोधर।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि,
हम देते तुम्हें गजोधर।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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