मेरी भाषा हिन्दी

 एक दिन आकर मुझसे बोली मेरी भाषा हिन्दी

 बना रहे हो क्यों तुम, अंग्रेज़ी को भारत की बिन्दी


मेरा है अधिकार ये, मेरा ही रहने दो

न मेरे इस अधिकार का,  तुम हनन होने दो


देवों के मुख से निकली हूँ,  देवनागरी कहलाती

संस्कृत की बहन हूँ,  ग्रंथों में पूजी जाती


वैज्ञानिक भी मेरा लोहा मानते, भाषा विज्ञानी कहलाती

विज्ञान की दृष्टि से भी जब मैं परखी जाती


राज भाषा हूँ मैं, मेरा कुछ सम्मान करो

सब भाषाओं को मानो  अपना, पर ना मेरा अपमान करो


सुन कर उसकी बात मैं ये, गहन चिन्तन में डूबी

माना ये मैंने कि अभिमान है मेरा मेरी भाषा हिन्दी|


रचयिता
अरूणा कुमारी राजपूत,
सहायक अध्यापक,
आदर्श अंग्रेजी माध्य्म संविलयन विद्यालय राजपुर,
विकास खण्ड-सिंभावली, 
जनपद-हापुड़।




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