भारतेंदु हरिश्चंद्र जन्मदिवस
नवजागरण का शंखनाद किए हरिश्चंद्र,
हिंदी साहित्य बनाया माध्यम हरिश्चंद्र।
काशी में 9 सितंबर 1850 को जन्म लिया,
आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह हरिश्चंद्र।।
गरीबी, पराधीनता, शोषण का किया चित्रण,
हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में किया चित्रण।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हरिश्चंद्र,
प्रकृति का चित्रण किया माना युग चारण।।
उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार और नाटककार,
साथ ही रहे अपने युग के जागरुक पत्रकार।
समूचा रचनाधर्म बन गया पथ प्रदर्शक,
संपादक, निबंधकार और थे ओजस्वी गद्यकार।।
पाँच वर्ष की उम्र में दिए प्रतिभा के दर्शन,
15 वर्ष से साहित्य की सेवा की प्रारंभ।
"सत्य हरिशचंद्र", "भारत दुर्दशा", "भारत जननी" लिखा,
"प्रेम माधुरी", "प्रेमतरंग", "मुद्राराक्षस" के करो दर्शन।।
खड़ी बोली का किए थे पूर्ण समर्थन,
हिंदी जो प्रयोग हम कर रहे उनकी है देन।
6 जनवरी 1885 बनारस में आँखें मूंदी,
संपूर्ण जीवन दिया जोड़ा साहित्य से जन।।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
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