हे ब्रह्मचारिणी
हे ब्रह्मचारिणी!
हे ब्रह्मचारिणी!
द्वितीय नवदुर्गा,
अति पावनी।।
द्वितीय दिवस,
ब्रह्मचारिणी है आती।
भक्तों की विपदा,
हर ले जाती।।
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या,
चारिणी का अर्थ है आचरण।
माँ ने शिव को पाने हेतु
घोर तपस्या का किया था वरण।।
दाएँ हाथ में माला होती,
बाएँ हाथ में कमंडल।
कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती,
जो विधि से करता पूजन।।
श्वेत रंग वस्त्रों को धारण,
श्वेत पुष्प से करें पूजन।
श्वेत रंग माँ को अति प्रिय,
श्वेत पंचामृत का करें अर्पण।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
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