जय पंथ वरो
सत्प्रेम करो, सत्बोध करो।
निज उर में नित सद्भाव भरो
सरस मधुर अन्तर मन कर,
दुर्भाव द्वेष को भी तजकर।
समता पूरित कर संवेदन को,
पथ पग दो कर्म समर्पण को।
सृजन सुखद नव भाव भरो।
निष्ठा भरकर सब काम करो।
तुम अग्रदूत बन क्रांति दूत,
त्याग भाव भर बन तपःपूत।
योगक्षेम का भाव प्रखर कर,
संघर्ष शील बन तप तप कर।
मानवता का पथ प्रशस्त करो।
निज जीवन में जय पंथ वरो।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
निज उर में नित सद्भाव भरो
सरस मधुर अन्तर मन कर,
दुर्भाव द्वेष को भी तजकर।
समता पूरित कर संवेदन को,
पथ पग दो कर्म समर्पण को।
सृजन सुखद नव भाव भरो।
निष्ठा भरकर सब काम करो।
तुम अग्रदूत बन क्रांति दूत,
त्याग भाव भर बन तपःपूत।
योगक्षेम का भाव प्रखर कर,
संघर्ष शील बन तप तप कर।
मानवता का पथ प्रशस्त करो।
निज जीवन में जय पंथ वरो।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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