मिशन शिक्षण संवाद
देख "मिशन शिक्षण संवाद"का चमत्कार,
इस पर ही"कविता" को हुआ बेकरार।
"विमल" मिशन की संवाद किरणें,
प्रकाश तेरा बता रही हैं।
बेसिक शिक्षा के सोये शिक्षक को,
फ़िर से जगा के उठा रही हैं।।
प्रकाश तेरे मिशन का इतना,
यह देखना हो तो देखे सागर।
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे,
नवशिक्षण मालाएँ गा रही हैं।।
तुम्हरा स्मित हो जिसे निरखना,
वो देख सकता है इस मिशन को।
शिक्षण में नवाचार शंखनाद करके,
बेशिक शिक्षोत्थान किये जा रहा है।।
ज्ञान- मन्दिर की यामिनी में,
जिसे देखना हो ज्ञानमाला।
बाल ज्ञान की ज्योति उसका,
पता अनूठा बता रही हैं।।
छ:छ: राज्यों में विस्तार तेरा,
न्यायप्रिय शक्ति है विचार तेरा।
साहित्य के पुष्प को खिला रही हैं
उषा तो उषा है निशा में भी देखो,
कमलवत कुमुदिनी खिला रही हैं।
दिन की शुरुवात दैनिक प्रभात से,
ज्ञानगंगा का प्रवाह करवा रही है।
शिक्षण सामग्री का ज्ञान देकर,
दैनिक श्यामपट कार्य करवा रही है।।
"शिवम" ज्ञानमय प्रकाश तुम हो,
जनपद की धरा पर शुरुवात करते।
देवी स्वरूपा "विभा" जी अनूपा,
पिरोती अनंत मालाएँ जा रही हैं।
कप्तान -गर हो श्री राजेन्द्र जैसा ,
तो बेसिक शिक्षोत्थान होवै न कैसा।
सप्तरंगी कला वीर- इंद्र हैं दिखाते,
हम आप सब के विजय की वंदना-
-किये जा रहे हैं।।
जय शक्ति- इच्छा,
जय बेसिक शिक्षा।
रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur,Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।
इस पर ही"कविता" को हुआ बेकरार।
"विमल" मिशन की संवाद किरणें,
प्रकाश तेरा बता रही हैं।
बेसिक शिक्षा के सोये शिक्षक को,
फ़िर से जगा के उठा रही हैं।।
प्रकाश तेरे मिशन का इतना,
यह देखना हो तो देखे सागर।
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे,
नवशिक्षण मालाएँ गा रही हैं।।
तुम्हरा स्मित हो जिसे निरखना,
वो देख सकता है इस मिशन को।
शिक्षण में नवाचार शंखनाद करके,
बेशिक शिक्षोत्थान किये जा रहा है।।
ज्ञान- मन्दिर की यामिनी में,
जिसे देखना हो ज्ञानमाला।
बाल ज्ञान की ज्योति उसका,
पता अनूठा बता रही हैं।।
छ:छ: राज्यों में विस्तार तेरा,
न्यायप्रिय शक्ति है विचार तेरा।
साहित्य के पुष्प को खिला रही हैं
उषा तो उषा है निशा में भी देखो,
कमलवत कुमुदिनी खिला रही हैं।
दिन की शुरुवात दैनिक प्रभात से,
ज्ञानगंगा का प्रवाह करवा रही है।
शिक्षण सामग्री का ज्ञान देकर,
दैनिक श्यामपट कार्य करवा रही है।।
"शिवम" ज्ञानमय प्रकाश तुम हो,
जनपद की धरा पर शुरुवात करते।
देवी स्वरूपा "विभा" जी अनूपा,
पिरोती अनंत मालाएँ जा रही हैं।
कप्तान -गर हो श्री राजेन्द्र जैसा ,
तो बेसिक शिक्षोत्थान होवै न कैसा।
सप्तरंगी कला वीर- इंद्र हैं दिखाते,
हम आप सब के विजय की वंदना-
-किये जा रहे हैं।।
जय शक्ति- इच्छा,
जय बेसिक शिक्षा।
रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur,Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteLots of thanks to you🙏
Deleteइस सम्मान के लिए सादर आभार भाई
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