इंद्रधनुषी होली

इंद्रधनुषी रंगों सा हो,
 होली का त्यौहार.....
हर चेहरे पर मुस्कान आये,
ऐसा हो इस बार......
एक रंग हो प्रेम का,
दूजा हो विश्वास......
बोली में भी मिला लें,
थोड़ी होली की मिठास......
तीसरा रंग हो मित्रता का,
चौथा हो सद्भाव......
इस होली मिलें सभी,
लेकर जिंदादिली का भाव......
रंग पाँचवाँ हो सम्मान का,
छठवाँ हो स्वाभिमान.....
जो भी मिले प्रभु की इच्छा से,
उस पर कभी न हो अभिमान......
सातवाँ रंग हो समर्पण का,
जिसका न हो कोई अंत.....
मिल जाएँ ये सात रंग,
तो खिला लगे ये बसंत......
फिर हो जाए होली खुशनुमा,
मिल जाएँ जो सारे रंग......
रंगों बिना कैसे हो,
होली की हुड़दंग.......।।।

रचयिता
मृदुला वैश्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मीठाबेल,
विकास खण्ड-ब्रह्मपुर,
जनपद-गोरखपुर।

Comments

  1. होली के त्योहार को जीवंत करती कविता।

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