जल ही जीवन है

जल की एक-एक बूँद बचाओ
                    इसको न यूँ व्यर्थ बहाओ

नदियों में ये कल-कल बहता
                    तालाबों में ये स्थिर रहता
बादलों से अमृत बन बरसता
         कहीं भी बना लेता अपना रास्ता

जल ही जीवन है
                जल बिन जीवन नहीं है सम्भव
बिजली, फसलें, खाना-पीना
               जल बिन ये सब है असम्भव

जल बिन जब न फसलें होगी
                      तब हम क्या खाएँगे??
जल बिन जब न वृक्ष रहेंगे
               फल, फूल कहाँ से आएँगे??

भूख-प्यास से होंगे व्याकुल
                        तब कैसे जी पाएँगे??
इस पर जरा विचार करो
                  व्यर्थ में न जल बर्बाद करो

खुशियों की सौगात लाती है
                     जब भी बारिश आती है
ताल-तलैय्या, झीलें, नदियाँ
                        सबको ये भर जाती है

हम सबको भी वर्षा का जल
                        यूँही नहीं बहने देना है
उसका संचय करके
                      फिर उपयोग में लेना है

हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन
           जल का सीमित इस्तेमाल करो
जितने जल की हो जरूरत
                     उतना ही इस्तेमाल करो

जल की एक-एक बूँद बचाओ
                     इसको न यूँ व्यर्थ बहाओ
       
रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

Comments

  1. बहुत ही खूबसूरती से आपने प्राकृति को जल के परिप्रेक्ष्य में शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत किया है।

    बेहतरीन


    (कुछ पंक्तियां सादर समर्पित����....)

    खुशियों की सौगात है लाती,
    जब - जब बरसा रानी आती,
    हृदय हरीतिमा लहक उठे है,
    मन सिंचित हो चहक उठे है,
    मिट्टी तेरे आलिंगन से
    झूम झूमकर महक उठे है।
    ........... रोहित पाल



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