जग में रहकर नाम करें
आओ सुनाऊँ तुम्हें कहानी
बच्चे दो थे राजू रानी
सुबह सवेरे जल्दी उठते
शौच निपट कर कुल्ला करते
शौच करें शौचालय में
रोग भगाते जंगल में।
सदा हाथ वे साफ करें
भोजन हो या शौच करें
वेश बना विद्यालय जाते
सबके मन को खूब लुभाते
जल्दी जागते जल्दी सोते
कक्षा में भी आगे होते।
सदा वे अपने बाल बनाते
कटे हुए नाखून दिखाते
छींकें खाँसें हाथ लगाते
बासी गंदा कभी ना खाते
बड़े कहीं जो मिल जाते
हाथ जोड़कर शीश नवाते।
उनका अब यह नारा है
भारत स्वच्छ बनाना है
निर्मल कपड़े निर्मल तन
स्वस्थ रहो सारा जीवन
स्वस्थ रहें और बड़े बने
जग में रहकर नाम करें।
रचयिता
पुष्पेंद्र कुमार तिवारी,
प्राथमिक विद्यालय बेहटा,
विकास खण्ड-मऊरानीपुर,
जनपद-झाँसी।
बच्चे दो थे राजू रानी
सुबह सवेरे जल्दी उठते
शौच निपट कर कुल्ला करते
शौच करें शौचालय में
रोग भगाते जंगल में।
सदा हाथ वे साफ करें
भोजन हो या शौच करें
वेश बना विद्यालय जाते
सबके मन को खूब लुभाते
जल्दी जागते जल्दी सोते
कक्षा में भी आगे होते।
सदा वे अपने बाल बनाते
कटे हुए नाखून दिखाते
छींकें खाँसें हाथ लगाते
बासी गंदा कभी ना खाते
बड़े कहीं जो मिल जाते
हाथ जोड़कर शीश नवाते।
उनका अब यह नारा है
भारत स्वच्छ बनाना है
निर्मल कपड़े निर्मल तन
स्वस्थ रहो सारा जीवन
स्वस्थ रहें और बड़े बने
जग में रहकर नाम करें।
रचयिता
पुष्पेंद्र कुमार तिवारी,
प्राथमिक विद्यालय बेहटा,
विकास खण्ड-मऊरानीपुर,
जनपद-झाँसी।
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