सजाएँगे रंगोली को

करता रंगों की बौछार
            हमारा है पावन त्यौहार
मनाएँगे हम होली को
सजाएँगे रंगोली को।
केसरिया है कर्म हमारा
         किस्मत बने हमारी,
हरा रंग है वृक्षारोपण
            करने की तैयारी,
स्वर्ग बनाएँ धरती को,
सजाएँगे रंगोली को।
लाल रंग से लाल हमारे
          बने तेज व्रतधारी,
संयम, शील, सत्य से पूरी
         होवें घर-घर नारी,
सुधारेंगे हम बोली को,
सजाएँगे रंगोली    को।
नीला रंग नीले अम्बर का
             दूर करें प्रदूषण,
पर्यावरण बचाना हमको
            करना है संरक्षण,
लगाएँगे फुलबाड़ी को,
सजाएँगे    रंगोली को।
पीला रंग परम हितकारी
          सबको गले लगाओ,
परहित सरिस धरम नहिं भाई
           की शिक्षा अपनाओ,
सुधारेंगे  जन-जीवन को,
सजाएँगे      रंगोली को।
रंग बैंगनी बेगुन जितने
        सब में गुन बरसायें,
सादा रंग सादगी लेकर
        जग को राह दिखायें,
सुधारेंगे हमजोली को,
सजाएँगे रंगोली को।
काले रंग का कृष्ण हमारा
             मुरली मधुर बजाये,
मुरली धुन को सुनकर राधा
            पायलिया झनकाये,
मिलें बरसाने वाली को,
सजाएँगे  रंगोली     को।
पौष शुक्ल की दशमी तिथि को
              बेटी जन्मी आयी,
संवत दो हजार पचहत्तर
              सुकृति नाम कहाई,
खुशी ले आयी सब घर को,
सजाएँगे     रंगोली      को।

रचनाकार
आचार्य राकेश कुमार,
उच्च प्राथमिक विद्यालय उबरीखेड़ा मकरन्द,
विकास खण्ड-कमालगंज, 
जनपद-फर्रूखाबाद।

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