होली का त्यौहार
रंगों का त्यौहार है होली,
जिसमें तन मन रंग जाता है।
नफरत और सब द्वेष भुला,
हर शख्स गले मिल जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
लाल, हरा, पीला गुलाल,
जब गालों को छू जाता है।
कितनी नफरत रंगों से,
पर उस दिन मन खिल जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
भोर हुई सब निकले घर से,
जाने कौन कब आता है।
गुझिया खाकर कोई खुश है,
कोई रंग बरसाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
प्रेम भरी पाती है उसको,
जो नफरत फैलाता है।
शत्रुता की अग्नि को
सौहार्द में बदलकर जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
जाति भुलाकर, धर्म भुलाकर
एक ही रंग रंग जाता है।
आपस में मिलजुलकर रहना,
हमको समझा जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
जिसमें तन मन रंग जाता है।
नफरत और सब द्वेष भुला,
हर शख्स गले मिल जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
लाल, हरा, पीला गुलाल,
जब गालों को छू जाता है।
कितनी नफरत रंगों से,
पर उस दिन मन खिल जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
भोर हुई सब निकले घर से,
जाने कौन कब आता है।
गुझिया खाकर कोई खुश है,
कोई रंग बरसाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
प्रेम भरी पाती है उसको,
जो नफरत फैलाता है।
शत्रुता की अग्नि को
सौहार्द में बदलकर जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
जाति भुलाकर, धर्म भुलाकर
एक ही रंग रंग जाता है।
आपस में मिलजुलकर रहना,
हमको समझा जाता है॥
होली का त्यौहार वर्ष में
प्रतिदिन क्यूँ नहीं आता है?
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
Superb
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteWah bahut khoob
ReplyDelete