होली
नंदगाँव का छोरा हो या बरसाने की छोरी,
शहर का कोई छैला हो या गाँव की कोई गोरी,
डाल गया है रंग सभी पर कौन ये चोरी-चोरी,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली।
रंग अबीर गुलाल को ले कर नंदलाल मुस्काये,
आँखों से मस्ती बरसाए हँसकर फिर शरमाए,
नील गगन भी रंग से भीगा, भीगी रंग से धरती,
परियों के आकाश से उतरी रंग से भीगी टोली,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली।
भेदभाव को भूल के आओ सब से गले मिल जाएँ,
सब के मन को छू ले जो वो गीत मिलन के गाएँ,
होली के दिन दुश्मन को भी प्यार की राह दिखाएँ,
द्वारे-द्वारे घूम रही है रंग लिए हर टोली,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली॥
देश पर अपना सब कुछ लुटायेंगे हम,
इस तरह अपनी होली मनाएँगे हम।
दे के अपना लहू देश के नाम पर,
रोशनी की तरह जगमगाएँगे हम।
मिल के होली मनाएँगे हम इस तरह,
प्यार के रंग में डूब जाएँगे हम।
अपने भारत के नामो-निशाँ के लिये,
सर झुकेगा नहीं सर कटाएँगे हम।
सारी दुनिया को यारों सुना दो यही,
गुलिस्ताँ को यूँ ही सजाएँगे हम॥
रचयिता
रेहाना शमीम,
प्राथमिक विद्यालय बूढ़ाडीह -2,
विकास खण्ड-भटहट,
जनपद-गोरखपुर।
शहर का कोई छैला हो या गाँव की कोई गोरी,
डाल गया है रंग सभी पर कौन ये चोरी-चोरी,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली।
रंग अबीर गुलाल को ले कर नंदलाल मुस्काये,
आँखों से मस्ती बरसाए हँसकर फिर शरमाए,
नील गगन भी रंग से भीगा, भीगी रंग से धरती,
परियों के आकाश से उतरी रंग से भीगी टोली,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली।
भेदभाव को भूल के आओ सब से गले मिल जाएँ,
सब के मन को छू ले जो वो गीत मिलन के गाएँ,
होली के दिन दुश्मन को भी प्यार की राह दिखाएँ,
द्वारे-द्वारे घूम रही है रंग लिए हर टोली,
मस्त अनोखी और मतवाली होली आ गई होली॥
देश पर अपना सब कुछ लुटायेंगे हम,
इस तरह अपनी होली मनाएँगे हम।
दे के अपना लहू देश के नाम पर,
रोशनी की तरह जगमगाएँगे हम।
मिल के होली मनाएँगे हम इस तरह,
प्यार के रंग में डूब जाएँगे हम।
अपने भारत के नामो-निशाँ के लिये,
सर झुकेगा नहीं सर कटाएँगे हम।
सारी दुनिया को यारों सुना दो यही,
गुलिस्ताँ को यूँ ही सजाएँगे हम॥
रचयिता
रेहाना शमीम,
प्राथमिक विद्यालय बूढ़ाडीह -2,
विकास खण्ड-भटहट,
जनपद-गोरखपुर।
बहुत सुंदर बहुत बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत
ReplyDeleteअति रोचक
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