बादल
बादल दादा आओ आओ
पानी तुम बरसाकर जाओ
रूप तुम्हारा सबसे न्यारा
हम सबको लगता है प्यारा
रंग बदल कर तुम डरपाओ
बादल दादा आओ आओ
सूरज के संग आँख मिचौली
और करते हो हँसी ठिठोली
गर्मी को ठंडा कर जाओ
बादल दादा आओ आओ
रुई के जैसे तुम लगते हो
हरदम ही चलते रहते हो
कभी तो रुक करके दिखलाओ
बादल दादा आओ आओ
तुम जो गर धरती पर होते
संग-संग हम भी हँसते रोते
जोर-जोर से ढोल बजाओ
बादल दादा आओ आओ
रचयिता
नरेन्द्र मगन,
प्राथमिक विद्यालय नगला भंडारी,
विकास खण्ड-कासगंज,
जनपद-कासगंज।
मो0-9411999468
पानी तुम बरसाकर जाओ
रूप तुम्हारा सबसे न्यारा
हम सबको लगता है प्यारा
रंग बदल कर तुम डरपाओ
बादल दादा आओ आओ
सूरज के संग आँख मिचौली
और करते हो हँसी ठिठोली
गर्मी को ठंडा कर जाओ
बादल दादा आओ आओ
रुई के जैसे तुम लगते हो
हरदम ही चलते रहते हो
कभी तो रुक करके दिखलाओ
बादल दादा आओ आओ
तुम जो गर धरती पर होते
संग-संग हम भी हँसते रोते
जोर-जोर से ढोल बजाओ
बादल दादा आओ आओ
रचयिता
नरेन्द्र मगन,
प्राथमिक विद्यालय नगला भंडारी,
विकास खण्ड-कासगंज,
जनपद-कासगंज।
मो0-9411999468

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