जल है जीवन
जल है जीवन, जल है पावन।
बिन जल के, नहीं है जीवन।
बादल बरसें, जल ले आएँ,
वसुधा पर वे, धान्य उगाएँ।
ताल तलैय्या, भरे जो भैय्या,
धरती प्यासी, प्यास बुझैय्या।
वर्षा के बिन, घटता जल है,
सूखा पड़ता, जहाँ न जल है।
वृक्ष वनस्पति, पानी पीकर,
प्राणी हैं जीते, पानी पीकर।
उड़ता पानी, भाप रूप में,
सूरज की जब, ताप धूप में।
बादल बनते तो वर्षा होती,
प्यासी धरती जल है पीती।
जीवन का आधार है पानी,
सबके काम में आता पानी।
पानी बचाएँ सबको बताएँ,
जन-जन को हम समझाएँ।
व्यर्थ न करिए जल है जीवन,
जल से पाता प्राणी जीवन।
बिन पानी के सूखा पड़ता,
तिनका-तिनका सूखा रहता।
जल बिन सूना जीवन सारा,
जल का कितना काम हमारा।
संचय जल का करना होगा,
चिन्तन सबको करना होगा।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
बिन जल के, नहीं है जीवन।
बादल बरसें, जल ले आएँ,
वसुधा पर वे, धान्य उगाएँ।
ताल तलैय्या, भरे जो भैय्या,
धरती प्यासी, प्यास बुझैय्या।
वर्षा के बिन, घटता जल है,
सूखा पड़ता, जहाँ न जल है।
वृक्ष वनस्पति, पानी पीकर,
प्राणी हैं जीते, पानी पीकर।
उड़ता पानी, भाप रूप में,
सूरज की जब, ताप धूप में।
बादल बनते तो वर्षा होती,
प्यासी धरती जल है पीती।
जीवन का आधार है पानी,
सबके काम में आता पानी।
पानी बचाएँ सबको बताएँ,
जन-जन को हम समझाएँ।
व्यर्थ न करिए जल है जीवन,
जल से पाता प्राणी जीवन।
बिन पानी के सूखा पड़ता,
तिनका-तिनका सूखा रहता।
जल बिन सूना जीवन सारा,
जल का कितना काम हमारा।
संचय जल का करना होगा,
चिन्तन सबको करना होगा।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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