कृष्ण जन्माष्टमी
मथुरा में जन्म हुआ, आए कृष्ण अवतार।
हो बधाई गोकुल में आया तारन हार।।
रोहिणी नक्षत्र शुभ हुआ प्रकटे दीनदयाल।
भाद्र अष्टमी अर्धरात्रि जन्मे हैं नंदलाल।।
कारागार के खुले सब सहज सारे कपाट।
बाहर वसुदेव पहुँचे नंद देखे थे बाट।।
रखकर शिशु अब सूप में पहुँचे यमुना तीर।
बाढ़ हुई अति भयंकर हुए बहुत ही अधीर।।
यमुना जी थी आतुर दर्शन को भगवन के।
उतर गया जल बाढ़ का पद रज के मान से।।
गोकुल पहुँचेवसुदेव नींद में यशोदा।
सुला दिया फिर लाल को फर्ज किया अब अदा।।
कन्या को लिए गोद में वापस हुए थे पिता।
जीवन है अनमोल करने लगे चिंता।।
वापस आए लौटकर किया है जमुना पार।
जैसे हालात पहले हुआ नहीं सुधार।।
बजे बधाइयाँ गोकुल, घर- घर मंगलाचार।
चारों और खुशियाँ थीं, लगे कोई त्योहार।।
विपदा टारो अब मेरी नाथ शरण मैं आई।
जग के खिवैया हो तुम मेरे कृष्ण कन्हाई।।
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