कृष्ण जन्माष्टमी
भादों अष्टमी रोहिणी नक्षत्र,
बुधवार को जन्मे देवकीनंदन।
खुले बन्द द्वार, सो गये पहरेदार,
टूट गये स्वयं बेड़ियों के बन्धन।
देखकर ये अद्भुत लीला
वसुदेव -देवकी मन में हर्षाये।
भयभीत होकर लगे सोचने दोनों,
कैसै कंस से लाल के प्राण बचायें।
वसु -देवकी ने अपने लाल को,
गोकुल पहुँचाने की युक्ति बनायी।
तीनों लोक के करतार को,
सूप में लिटाकर यमुना पार करायी।
घनघोर बरसा से बचाने को,
शेषनाग ने फनों से छतरी बनायी।
कृष्ण चरण -रज छूकर,
नत मस्तक हो यमुना भी हर्षायी।
पहुँचे वसुदेव, नन्द के गाँव,
थीं जन्मी जहाँ कन्याकुमारी।
छोड़ लला को यशोदा के संग ,
साथ ले गये अपने कन्या सुकुमारी।
यशोदा -नन्द के अँगना लाल जन्मो,
घर -घर बजने लगी शहनाई।
हर्षित हो सब आनन्द मनावत,
देते यशोदा और नन्द को बधाई।
रचयिता
विमला रावत,
सहायक अध्यापक,
राजकीय जूनियर हाईस्कूल नैल गुजराड़ा,
विकास क्षेत्र-यमकेश्वर,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
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